आत्म करुणा:- क्या होता है?, कैसे करें | माइंड लाइफ स्किल | @kaldandoma
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आत्म करुणा:- क्या होता है?, कैसे करें

आत्म करुणा:- क्या होता है?, कैसे करें

जिंदगी शब्द का विवरण दिया जाए तो यह कहा जाता है कि “जिंदगी एक खेल है”, एक ऐसा खेल जिसमें कोई नियम नहीं हैं, यहाँ सब खिलाड़ी हैं यानी कि प्रत्येक मनुष्य अपने समझ के मुताबिक खेलते हैं कुछ इसमें जीतते हैं तो कुछ भीड़ में कहीं गुम हो जाते हैं ।

यहाँ कोई हारता नहीं । परन्तु कई व्यक्ति भीड़ में गुम तो हो जाते हैं साथ में खुद पर दया खाने लगते हैं स्वंय को दया का उत्तराधिकारी घोषित करते हैं । कई यह मानते हैं कि आत्म दया करना ही आत्म करुणा है । परन्तु यह दोनों शब्द बिल्कुल भिन्न हैं । जानिए दोनों शब्दों के बीच का अंतर ।

आत्म करुणा बनाम आत्म दया

आत्म करुणा और आत्म दया दोनों के अर्थ भिन्न हैं । आत्म करुणा तब होती है जब आप अपने प्रति वही प्रेम और देखभाल करते हैं जो आप दूसरों के प्रति दिखाते हैं । कहने का अर्थ यह है की आत्म करुणा में व्यक्ति दुसरो के प्रति दया भाव तो रखता है जैसे खुद के प्रति रखता है परन्तु इसमें व्यक्ति न खुद की हिम्मत टूटने देता है और न ही दूसरे का तोड़ता है ।

अर्थात कहा गया है कि अगर व्यक्ति बार बार किसी को बेचारा कहेगा तो व्यक्ति स्वयं को बेचारा और ला-चार ही समझेगा यही आत्म दया का अर्थ है । जिसमे व्यक्ति खुद पर दया करने लगता है जिससे वह अपने आप को कमजोर कर देता है, परन्तु आत्म करुणा में व्यक्ति अपने आप को हौसला देता है, गिर कर फिर उठता है ।

आत्म करुणा के माध्यम से अपने दर्द का निरीक्षण, अनुभव और अभिनय कैसे करें

जीवन एक ऐसा खेल है जहाँ कोई नियम नहीं है और कोई भी पराजित नहीं होता है। लोग या तो इसे जीत लेते हैं या भीड़ में खो जाते हैं। जो लोग पराजित हो जाते हैं वे स्वयं पर दया करने लगते हैं और वे आत्म दया और आत्म करुणा के बीच भ्रमित हो जाते हैं । कलदन आत्म दया और आत्म करुणा के बीच अंतर को स्पष्ट करती है और हमें यह भी बताती है कि हम अपने दर्द का निरीक्षण करने, महसूस करने और उस पर कार्य करने के लिए आत्म करुणा का उपयोग कैसे कर सकते हैं।

आत्म करुणा अपने आप को उसी तरह महसूस कराना और उसी तरह कार्य करना है जैसे आप दूसरों के लिए दर्द में करते हैं। उदाहरण के लिए आपके दोस्त ने अपनी माँ, बेटे को खो दिया है या उन्हें यह खबर मिली है कि उन्हें कैंसर है। जब आप इन शब्दों को सुनते हैं तो आपकी पहली प्रतिक्रिया यह होती है कि आप उसके लिए बनना चाहते हैं और यह सोचकर उससे दूर नहीं भाग सकते कि मैं इससे निपट नहीं सकता।

इसके बजाय आप उसे आराम देने के लिए वहां जाते हैं ताकि आप उसके दुख में उसे सहयोग कर सकें । परन्तु यही जब आपके साथ होता तो यही सांत्वना आप खुद को नहीं देते । हम सभी को यह जानने और समझने की जरूरत है कि कोई भी सही नहीं है।

परफेक्ट नाम की कोई चीज नहीं है। यह प्यार, देखभाल और खुद को सम्मान देने का समय है। आपको वास्तविकता से लड़ने से रोकने और अपने दिल को खोलने की जरूरत है। यह आपको इस जीवन का अनुभव करने के लिए अपने आप को, अन्य मनुष्यों और जानवरों के लिए करुणा महसूस करने के लिए प्रेरित करेगा।

स्वयं से प्रेम करे, स्वंय को प्रोत्साहन दें परन्तु स्वयं पर दया न करें ।

अगर फिर भी आपको भीतर से भय लग रहा है जिसके कारण आप अपने आपको कमजोर महसूस कर रहें हैं तो उसके लिए Kaldan Doma से सम्पर्क करें । यह उनका ईमेल पता है info@kaldandoma.com