इंसान और जानवर में यूँ तो ज्यादा भिन्न नहीं, परन्तु इंसान हर अलग अलग परिस्थिति के मुताबिक अपने भावना व्यक्त कर सकते हैं । उन्ही उपलब्ध भावनाओं में एक आता है गुस्सा यानी क्रोध । गुस्सा हमारे पास मौजूद सबसे ताकतवर शक्तिशाली भावना है, हालांकि बचपन मे हमें इसे इसे शांत करने की शिक्षा नहीं दी जाती । अगर बच्चों को अपने भावनाओं को शांत करने की प्रक्रिया सिखाया जाए तो उनके पास एक उज्ज्वल भविष्य होगा ।
जीवन में ऐसे कई मौके बनते हैं जिसमे एक इंसान को गुस्सा किसी कारण या बिना किसी कारण अपना गुस्सा व्यक्त कर देता है । गुस्सा एक ऐसी भावना है जो रिश्तों में दरार की वजह तो बनता ही है और साथ मे मनुष्य को अंदर से झकझोर कर देता है । हालांकि यह भी सत्य है कि आपको गुस्सा या किसी के प्रति असहमति नहीं दर्ज करनी चाहिए परन्तु हर क्रिया का करने का एक मार्ग होता है , उसी दायरे में रह के हमें अपने गुस्से का इस्तेमाल करना चाहिए, अगर कार्य की समाप्ति बिना गुस्से के हो जाए उसी ही तवज्जो देनी चाहिए ।
गुस्से का कारण
गुस्से का कारण के मात्र एक रूप नहीं बल्कि कई हो सकते हैं परन्तु ज्यादातर मनुष्यो में यह पाया गया है कि जब मनुष्य अपनी इच्छा की पूर्ति नहीं कर पाता तो वह अपनी भावना गुस्से से निकलता है । अपने जीवनकाल में मनुष्य के कई तरह के लक्ष्य होते हैं जो उम्र और कार्य के मुताबिक होते हैं जैसे स्कूल में बच्चों की इच्छा ज्यादा नंबर लाना और वहीं एक व्यापारी की इच्छा यह होती है ज्यादा मुनाफ़ा कमाना । अपनी इच्छाओं से इतना लगाव भी आपके गुस्से का कारण होता है ।
उदाहरण सहित
निशांत जो कि अपनी कक्षा का अव्वल दर्जे का विद्यार्थी है । इसका उस वक्त एक लक्ष्य स्थापित कर लिया । लक्ष्य एक नाम-चीन विश्वविद्यालय में दाख़िला लेने का । उसने उसे हासिल करने के लिए अपनी पूरी मेहनत लगा दी । परन्तु जब परिणाम घोषित हुए तो वह अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया । वह सबसे दुर्व्यवहार करने लगा अपने दोस्तों से अपने माता पिता से । जिससे उसके रिश्तों में दरार पैदा होने लगी । यह कहानी कइयों को अपनी स्वंय की कहानी लग सकती है ।
गुस्से का प्रभाव
बार बार गुस्से होने पर आपके भीतर नकारात्मक भावना भी उत्पन्न होती है जो आपके शरीर को प्रदूषित कर देती है । ध्यान रखिए कि गुस्सा आपका सबसे प्रमुख दुश्मन है जो आपके किसी के प्रति जुनून और लगाव के मिश्रण से उत्पन्न होता है । गुस्सा मनुष्य के रिश्तों को तोड़ सकता है । आपके भीतर चाहे कितनी भी गुण हो परन्तु गुस्से में वह सभी गुण भारी मात्रा में छिप जाते हैं । गुस्सा शांत करना एक कला है जो व्यक्ति को उसके दुष्टपरिणाम आने से पहले सिख लेना चाहिए।
क्रोध को कैसे शांत करें !
क्रोध शांत करना बहुत ही महत्वपूर्ण है अगर आप सबसे अपने अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते है। जब भी गुस्सा आए उसे इन भावनाओं के साथ ढक ले जैसे कि प्रेम, करुणा, क्षमा सहनशीलता और धैर्य । यह गुस्से को शांत करने के लिए उपयुक्त भावनाएं मौजूद है । मेडिटेशन को भी गुस्से को शांत करने के लिए उपयुक्त स्थान हासिल है । मेडिटेशन आपके ध्यान को एक जगह सम्मलित करता है ।
अगर उपयुक्त उदाहरण में निशांत को सहिष्णुता लाने के प्रयास के लिए मेडिटेशन की क्रिया का ज्ञान दिया जाता तो उसके आने वाले भविष्य के लिए बहुत बहतरीन होता ।
दलाई लामा कहते है कि ” क्रोध और भय यह दो भावनाएं हमें भीतर से कमजोर करते हैं, जैसे हम बच्चों को उनके स्वास्थ्य के लिए शिक्षा देते हैं ठीक उसी प्रकार हमें इन भावनाओं की भी स्वच्छता पर भी ध्यान देना चाहिए” ।
“युवा खुशहाल और स्वस्थ जीवन के लिए खुद को फिर से खोजे” यह कहना है Kaldan Doma जी का जो राजधानी दिल्ली में प्रेरक वक्ता हैं । वह एक जीवन परिवर्तनकारी कोच है ।
बहुत ही उत्तम लिखा आपने
यह ब्लॉग बहुत जानकारीपूर्ण है। इस तरह से अधिक ब्लॉग देखने की उम्मीद है