महिलाओं को हमेशा सिखाया जाता है कि जब वो पुरुषों के आसपास रहे, तो उन्हें कैसा व्यवहार करना चाहिए और वे क्या पहनें । महिलाओं के कंधें पर खुद को सुरक्षित रखने का भार क्यों होना चाहिए? जबकि एक इंसान के रुप में उन्हें भी एक सामान्य अधिकार है, तो उन्हें अपनी आजादी, इच्छा और अरमानों को क्यों छोड़ना चाहिए ?, क्यों कोई भी पुरुषों के सुरक्षा के बारें में बात नही करता है?
यह बात सिर्फ आधुनिक महिला कहलाये जाने वाली महिलाओं के बारे में नही है, बल्कि समाज में समस्या की जड़े बहुत ही गहरी है। यह एक तरह से महिला और पुरुष दोनों के लिए बढ़ते हुयें वर्षों में पित्तसतात्मक मानसिकता के प्रति सोच से संबंधित है। यह पूर्व से मान लिया गया है कि महिलायें , पुरुषों से नीचे है। पुरुषों में महिलाओं के प्रति सम्मान की कमी सांस्कृतिक, धार्मिक और अश्लील बातों से समझा जा सकता है। जैसे कि यदि कोई महिला मिनी स्कर्ट पहनना पसंद करती है, जो शादीशुदा नही है/जिनके बच्चे नही है या जो शराब पीने और पब में घूमना पसंद करती है, लोगों का मानना है कि उनके साथ जरुर कुछ गलत होगा।
हमें पूर्व कार्यक्रमों को पूर्ववत् करने की आवश्यकता है , जिसमें हम महिला सुरक्षा के प्रति दृष्टिकोण और प्रतिमान को प्रोत्साहित किया जा सके। हर महिला को अपने शहर के सड़क पर चलने पर सुरक्षित महसूस करने का अधिकार है। हम सामूहिक रुप से व्यक्तिगत, समाज और वैश्विक स्तर पर निम्नानुसार समस्या पर कार्य करते है और महिला के जीवन को पुरुष के जितना आरामदायक बनाने के लिए हर दिन एक सरल समाधान ढुढ़ते है :-
शारीरिक –
बच्चों की परिवरिश के लिए यहां कोई नियमावली नही है, लेकिन फिर भी इंसानों में सक्त मानसिकता का पालन करने की प्रवृत्ति होती है और यही बात उनके माता-पिता पर भी लागू होती है। जिस तरह घर से दान की शुरुवात होती है, ठीक उसी तरह घर से ही सुरक्षा के बारे में ज्ञान और जागरुकता शुरु होनी चाहिए। प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों को सड़क अपराध , यौन शिकार , साइबर बदमाशी या कार, स्वीमिंग पूल और खेल के मैदानों के कारण होने वाली शारीरिक अपराध/चोटों से सुरक्षित रखने के लिए प्रशिक्षण लेना चाहिए ।
समस्या –
महिलाओं का यौन शोषण घर पर , ऑफिस में, सड़क पर और यहां तक कि ऑनलाइन भी होता है। उनका ना सिर्फ अजनबियों द्वारा बल्कि सबसे आश्चर्यजनक है कि पुरुष रिश्तेदारों और सहकर्मियों द्वारा छेड़छाड़, दुर्व्यवहार , मार-पीट और बलात्कार किया जाता है। यह कितनी शर्मनाक बात है।
समाधान –
लड़कियों को आत्मरक्षा करना सीखना चाहिए। यह हर लड़की का मौलिक अधिकार होना चाहिए ना कि केवल राजशाही जीवन जीने वाली लड़की होना चाहिए, क्योंकि हर लड़की अपने जनसांख्यिकीय प्राफाइल के बावजूद यौन हिंसा के चपेट में आ जाती है। हर स्कूल में लड़कियों के लिए मुफ्त आत्मरक्षा की कक्षा होनी चाहिए।
सामाजिक –
हम अक्सर सोचते है कि कुछ गलत मेरे साथ नही हो सकता है, यह धारणा हमें दूर करने की आवश्यकता है। यदि कोई महिलाओं के साथ गलत तरीके से कार्य करता है, तो पुरुषों को महिलाओं की सुरक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए। चुने हुये राजनेताओं को कठोर कानून लागू करने चाहिए। पुलिस को शीघ्र जांच प्रक्रिया करना चाहिए। एसओएस कॉल के लिए एक सीधा संपर्क स्थापित होना चाहिए। पीड़ियों के लिए के एक समर्थन समूह होना चाहिए।
समस्या –
हर कोई महिलाओं के साथ हुये और दुर्व्यवहार को स्वीकार कर लेता है। जब कभी एक बलात्कार की कहानी सामने आती है, तो एक बहुत बड़ा हंगामा होता है और फिर शांति से बात दब जाती है। यौन िंहंसा की मानसिकता को स्वीकार कर लिया गया है, जो समाज की बुराई है और पिछड़े समाज का प्रतिबिम्ब है। हम इंसानों के रुप में क्या बन गये है?
समाधान –
स्कूल से ही लड़कों को हर उम्र की हर महिलाओं को सम्मान देना सिखाये और उन्हें कोई कारण देने की जरुरत नही है। जब लड़के अपने पिता , अंकल या सामाजिक मंडली के अन्य पुरुष सदस्य को महिलाओं के साथ सम्मान से पेश आते देखेंगें, तो वो भी वही संस्कार को अपनाऐगें और भविष्य की पीढ़ियों को भी बतायेंगें।
सांस्कृतिक –
हम परिवार में पूर्व निर्धारित व्यवहार प्रतिरुप को बनाते है और उन्हे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सौंपतें है। हमें इस प्रतिरुप को तोड़ने की और एक स्वतंत्र, समान और व्यक्तिगत जुड़ाव संस्कृति की जरुरत है। मुझे लगता है कि विश्वास प्रणाली को इस तकनीकी समय के अनुसार अपडेट करने की आवश्यकता है। यदि आप अपने फोन और कम्प्यूटर को अपडेट कर सकते है, तो मुझे लगता है कि आप अपने विश्वास को भी अपडेट कर सकते है।
समस्या –
हम अपने दैनिक जीवन में लिंग के आधार पर उदाहरण देखते है, हमारे घर से ही सही , जहां पुरुष घर के कामों में हाथ नही बंटातें है और जहां ऑफिस में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन में रखा जाता है और भी बहुत कुछ है, जैसे – लड़के रोते नही है, लड़की के लिए गुलाबी और लड़कों के लिए नीला रंग होता है, पुरुष महिला की तुलना में अधिक मजबूत होते है, महिलायें अच्छी निर्णयकर्ता नही होती है, इत्यादि।
समाधान –
घर और स्कूलों पर बच्चों के साथ लिंग समानता के बारें में प्रगतिशील संचार के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। घर , कार्यालय और हर जगह दोहरे मानक और लिंग बाधाओं को तोडना चाहिए।
भावुक –
जीवन की परिस्थितियों के अनुसार सकारात्मक और नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक है। हांलाकि भावनाएें विचार एक मनोदशा है और समय के साथ बदलते रहता है, ये वास्तव में आप नही होते है, आप मन की नकारात्मक भावनाओं में फंस जाते है , जो आपको दोषी महसूस करा सकता है। भले ही आप दोषी ना हो।
आपके आसपास के लोग नही समझ पायेगें, क्योंकि उनके पास कोई अनुभव नही है कि आपने क्या महसूस किया है। इससे पता चलता है कि उन्हें आपकी परवाह नही है। आपको समझने के लिए उनके पास किसी प्रकार का कौशल और अनुभव नही है, समझियें। उन पर क्रोधित और निराश ना हो, बस एक ऐसे व्यक्ति को खोजिए , जो आपकी सुने और आपको समर्थन करें। आप अपनी चोट और पीड़ित भावनाओं के लिए नही बने हो। उस पुरुष को अधिकार मत दो, जिसने इस मनः स्थिति में होकर आपके साथ ऐसा किया। अपने सोचने का तरीका बदलो और अपनी शक्ति को वापस पाओ। यह समय खुद को फिर से दिखाने का है।
समस्या –
समाज अक्सर यौन शोषण होने वाली महिलाओं को बताता है कि वो खुद ही अपने बलात्कार और छेड़छाड़ के लिए जिम्मेदार है। यह पीड़ित महिलाओं को अंदर से शर्मनाक और अपराधबोध महसूस कराता है।
समाधान –
इन पीड़ितों में आत्मविश्वास, संचेतना और माफ करने का विकास करना चाहिए , ताकि वो अपने चोट को भर सकें। उन्हें लगातार आश्वासन देने की जरुरत है, कि उन्होंनें कोई गलती नही की है। उन्हें एक नया जीवन बनाने के लिए पूरे परिवार का समर्थन और सरकारी सहायता दी जानी चाहिए।
महिलाओं में अपने भीतर पूर्ण शक्ति होती है, जिससे वो अपनी खुद की दुनिया बना सकते है, जैसा वो चाहते है। निम्नानुसार तरीकों से समान लिंग समाज बनाने के लिए हाथ मिलाने और सामान्य आधार खोजने का समय आ गया हैः-
- एक दूसरे को सशक्त बनाये और समर्थन दे , गपशप,बदमाशी और अन्य महिलाओं के लिए निर्णय लेना बंद करें।
- लिंग समानता के बारे में लड़कों और पुरुषों को शिक्षित करें।
- अपनी बेटियों को किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना सिखायें।
- लड़कियों/महिलाओं और लड़को/पुरुषों को एक दूसरे के जगह का सम्मान करना सिखायें।
- अपनी बेटियों को आत्मरक्षा करना सिखायें।
- अपने स्मार्टफोन में एक सेफ्टी एप्प इंस्टॉल करें, जो आपको एक बटन के प्रेस करने के साथ ही एक हेल्पलाइन के साथ जोड़ सकते है।
अपने जगह को फिर से देखना और पुनः सीखना महिला सुरक्षा के लिए नया मंत्र है।
लड़की/महिला सुरक्षा कार्यक्रम या माता-पिता के कार्यक्रम के लिए info@kaldandoma.com मेरे से संपर्क में रहे। सोशल मीडिया पे @kaldandoma मुझे फॉलो करे।
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